From: kuldeep t. <kul...@gm...> - 2012-11-11 14:24:44
|
मैंने वालमिकी जयंती पर हिंदी प्रेमियों के लिये एक मंच नाम से एक समूह बनाने का प्रयास किया है, मुझे लगता है कि वालमिकी जी से महान रचना कार कौन होगा, जिन्होंने रामायण जैसे महा काव्य की रचना की है। इस लिये इस शुभ कार्य के लिये इस से शुभ अवसर कौन सा होगा। यह अभी मेरा केवल प्रयास मात्र है ये कितना सार्थक होगा इस का पता आप के इस समूह के प्रति लगाव से ही चल पायेगा। ये एक ऐसा मंच है जहां आप हिंदी भाषा से संबंधित किसी विषय पर चर्चा, मन मोहक रचना की सूचना, अपनी नयी रचना की जानकारी व लिंक, आवश्यक्ता अनुसार विष्य सामग्री की मांग किसी नयी पुस्तक का विश्लेषण तथा किसी हिंदी से संबन्धित सामारोह की जानकारी दे सकते हैं। इस समूह का संपूर्ण विवरण इस प्रकार है। Group home page: http://groups.yahoo.com/group/ekmanch Group Email Addresses Post message: ek...@ya... Subscribe: ekm...@ya... इस सबसक्राइब वाली मेल पर अपनी ईमेल से आप मेल के सुबजैक्ट में subscribe लिख कर भेज दें। Unsubscribe: ekm...@ya... List owner: ekmanch-owner@yahoogroups. अगर इस समूह को सबसक्राइब करने में कोई असुविधा हो तो आप मुझे अपनी ईमेल आईडी मेरी ईमेल kul...@gm... पर भेज सकते हैं।तथा मुझे काल भी कर सकते हैं। आप सब के भरपूर सहियोग की आस में आप का कुलदीप सिंह। हम सब हिंदी भाशियों के लिये एक मंच। सबसक्राइब करें केवल अपना आवेदन ekm...@ya... इस ईमेल पर भेजें। आप तुरंत इस मंच से जुड़ जायेंगे। यह मंच मैंने निम्न उदेश्य के साथ बनाया है। 1 इस मंच पर हम सबएक ही रूचि के जो हिंदी साहित्य से प्रेम करते हैं, उन का एक समूह बन जायेगा। हम सब एक दूसरे के निकट आ जायेगे। अपनी बात हम एक दूसरे तक सुलबता से पहुंचा पायेंगे। 2 हमें एक दूसरे के विचारों से अवगत होने का मौका मिलेगा। 3. हम सभी प्रकार की सूचना अपनी ईमेल पर प्राप्त कर लेंगे। 4 हम किसी प्रकार की विषय सामग्री एक दूसरे से मांग सकते हैं। 5 इस मंच पर हम अपनी भाषा में एक दूसरे से बात कर सकेंगे। आप सब से मेरा निवेदन है कि इस मंच की सूचना आप सब एक दूसरे को भी दें और उन्हे इसे सबसक्राइब करने के लिये प्रेरित भी करें। तभी यह संपूर्ण मंच बन सकेगा। -- Thanks and regard: Kuldeep singh thakur. skype ID: kuldeep.pinku Call me on my mobile: 9418485128. Bhari dupahri men andhiyara, Sooraj parchai se hara, Antar tam ka neh nichorhay, Bujhi hui bati sulgayen, Aao phir se diya jalayen. |